भाग 3
मूल अधिकार
अनुछेद 12 से 35
- मूल अधिकार को अमेरिका के सविधान से लिया गया है।
- परिभाषा – संविधान द्वारा दिए जैसे नैसर्गिक अधिकार जो व्यक्ति के नैतिक और बौद्धिक विकास कर सके।हमारे संविधान में मौलिक अधिकार की परिभाषा का उल्लेख नहीं है परंतु न्यायालय द्वारा इस समय समय पर परिभाषित किया जा रहा है।
- पृष्ठभूमि :-
- विश्व में सर्वप्रथम मौलिक अधिकार ब्रिटेन में 1215 में MAGNAKARTA के रूप में सामने आया जब वहां के राजा जॉन ने जनता के अधिकार पत्र को स्वीकार किया।
- 1688 मैं अमेरिका की रक्तहीन क्रांति के पश्चात संसद में मौलिक अधिकार प्रस्तुत की गई थी।
- फ्रांस मैं 1789 में सर्वप्रथम मौलिक अधिकार को लिखित रुप में स्वीकार किया गया।
- भारत में मौलिक अधिकार की पृष्ठभूमि:-
- 1835 में सर्वप्रथम दादाभाई नवरोजी एवं आर सी दत्त द्वारा मौलिक अधिकार को प्रस्तुत किया गया।
- 1925 मैं एनी बेसेंट ने अपनी पत्रिका कॉमन विल मैं पुनः इसे प्रस्तुत किया।
- कांग्रेस द्वारा पहली बार 1931 में कराची अधिवेशन में मौलिक अधिकार नागरिकता एवं आर्थिक सुधार प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
- कैबिनेट मिशन 1946 द्वारा मौलिक अधिकार से संबंधित एक समिति बनाने की बात की गई।
- मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में बनाई गई।
- संवैधानिक स्थिति:-
- मूल संविधान में मौलिक अधिकारों की कुल संख्या 7 थी।
- परंतु 44वे संशोधन 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को भाग 3 के अनुच्छेद 19 1च एवं अनुच्छेद 31 से हटाकर भाग 12 के अनुच्छेद 300क के रूप में शामिल किया गया
- वर्तमान में संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं होकर सामान्य कानूनी अधिकार है।
- अब 6 मौलिक अधिकार हैं
- समता का अधिकार- अनुच्छेद 14 से 18
- स्वतंत्रता का अधिकार – अनुछेद 19 से 22
- शोषण के विरुद्ध अधिकार- अनुच्छेद 23 से 24
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 25 से 28
- शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार- अनुच्छेद 29 , 30
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार- अनुच्छेद 32
अनुच्छेद 12 से 35
- अनुच्छेद 12 – राज्य की परिभाषा
- इसके अंतर्गत निम्न बातें शामिल है-
- भारत सरकार एवं संसद
- राज्य सरकार एवं विधानमंडल
- स्थानीय प्राधिकारी
- अन्य प्राधिकारी
- अनुच्छेद 13– राज्य कानून बनाकर मौलिक अधिकारों को कम नहीं कर सकती।
♦ इसी अनुच्छेद में न्यायिक पुनर्विलोकन शब्द का प्रयोग किया गया है।
- समता का अधिकार
♦ अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता – कानून की नजर में सभी बराबर है।
विधि का समान संरक्षण- समान परिस्थिति के लिए समान कानून का लागू होना। अमेरिका से
अपवाद राष्ट्रपति एवं राज्यपाल
नोट:- विधि का शासन एवं नैसर्गिक न्याय इसी अनुच्छेद में शामिल हैं।यह अनुच्छेद विधि न्याय प्रदान करता है।
♦ अनुच्छेद 15:- धर्म, जाति ,मूलवंश, जन्म, लिंग, वंश के आधार पर समता
#निजी क्षेत्र में आरक्षण ( 104 वां संविधान संशोधन) इसी अनुच्छेद के तहत आते हैं।
♦ अनुच्छेद 16:– लोक नियोजन में अवसर की समता
# अनुच्छेद 16 (4) :- सरकारी नौकरियों में राज्य सरकार पिछड़े वर्ग को आरक्षण दे सकती है।
#अनुच्छेद 16 (4)के :- 77 वे संविधान संशोधन 1995 द्वारा सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण दे सकती है।
# अनुच्छेद 16( 5):– इसमें क्रीमीलेयर की चर्चा है।
♦ अनुच्छेद 17:- अस्पृश्यता का अंत
सरकार निम्न अधिनियम के माध्यम से अस्पृश्यता का अंत किया है
- अस्पृश्यता निषेध अधिनियम 1955
- नागरिकता अधिकार संरक्षण अधिनियम 1967
♦ अनुच्छेद 18:- उपाधियों का अंत
# सरकार ( राज्य) को सैनी एवं शिक्षा संबंधित सम्मान या उपाधि देने का अधिकार है
# भारत का कोई नागरिक विदेशों से उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
continued……………….