Fundamental Right (Part- 3)

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शोषण के विरुद्ध अधिकार

अनुच्छेद 23 बंधवा मजदूरी एवं मानव व्यापार से मुक्ति
अनुच्छेद 24 बाल श्रम निषेध(14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी विनाशकारी कार्य में नहीं लगाया जा सकता)
नोट- 10 अक्टूबर 2006 को पूरे देश में बाल श्रम निषेध कानून लागू हो गया
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 25 किसी भी धर्म को मानने अपनाने आचरण करने प्रचार-प्रसार करने की आजादी।

·       धार्मिक चिन्हों का प्रयोग करने की आजादी जैसे तिलक पगड़ी आदि। सिख कटार रख सकते हैं

अनुच्छेद 26 धार्मिक कार्यों में प्रबंधन का अधिकार
अनुच्छेद 27 धार्मिक क्षेत्र में किए गए खर्च पर राज्य कर नहीं लगा सकती।
अनुच्छेद 28 राजकीय शिक्षण संस्थानों में धर्म शिक्षा निषेध

शिक्षा एवं संस्कृति संबंधी अधिकार

अनुच्छेद 29 30 ·       दोनों अनुच्छेद संख्यक से संबंधित हैं

·       संविधान में अल्पसंख्यक के दो आधार बताए गए हैं

1.    भाषा के आधार पर

2.    धर्म के आधार पर

·       देश में 5 अल्प संख्यक है  मुस्लिम ईसाई सिख बौद्ध एवं पारसी।

 

अनुच्छेद 29 (1) भारत के अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 29 (२) इनकी अपनी विशेष भाषा लिपि या संस्कृति है और उसे बनाए रखने का उन्हें अधिकार होगा
अनुच्छेद 30 शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार।

संविधानिक उपचारों का अधिकार – अनुच्छेद 32

अनुच्छेद 32 (1) मूल अधिकार के उल्लंघन पर सीधे उच्चतम न्यायालय में जाने का अधिकार है।
अनुच्छेद 32 (2) उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार देता है कि मूल अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए ऐसे आदेश निदेश या रिट निकाले जो समुचित हो।

5 तरह के रिट उल्लिखित हैं

1.    बंदी प्रत्यक्षीकरण

2.    परमादेश

3.    प्रतिषेध

4.    उत्प्रेषण

5.    अधिकार पिक्चर

 

बंदी प्रत्यक्षीकरण यह रिट उस व्यक्ति की याचिका पर जारी किया जाता है जिसके

1.    गिरफ्तारी का आदेश किसी विधि का उल्लंघन करता हो

2.    गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित न किया गया हो

3.    किसी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा बंदी बनाया गया हो

4.    असंवैधानिक विधि से बंदी बनाया गया हो।

·       इसके तहत उच्चतम न्यायालय किस राज्य को रिट जारी करती है जिसके विरुद्ध याचिका दिया गया है और बंदी को स शरीर न्यायालय में उपस्थित करवाकर कारणों की जांच करता ।

·       यह सिर्फ कार्यपालिका या प्राधिकारी के विरुद्ध जारी होता है।

परमादेश यह रिट  उस व्यक्ति की याचिका पर जारी किया जाता है जिसका कोई विधिक अधिकार है और उस व्यक्ति निगम कनिष्ठ न्यायालय या सरकार या लोक अधिकारी को जारी किया जाता है जिसका वह विधिक अधिकार के लिए विधिक कर्तव्य है और फिर भी करने से इंकार करता है।

·       परमादेश राष्ट्रपति राज्यपाल न्यायाधीश के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता।

 

प्रतिषेध इस रिट के द्वारा उच्चतम न्यायालय अपने नीचे अस्तर वाले न्यायालयों को उस मुकदमे को आस्था गीत  करने का आदेश देता है जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।
उत्प्रेषण इसके द्वारा उच्चतम न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय को आदेश देता है कि आपके पास लंबित या स्थगित किए गए मुकदमे को उच्चतम न्यायालय के पास भेजे ताकि उस पर विचार हो सके।
अधिकार पृच्छा इस रिट द्वारा उस प्राधिकारी को रिट जारी किया जाता है जो किसी पद के लिए वैधानिक रूप से अधिकार नहीं रखता और यह पूछा जाता है कि वह किस अधिकार से किस पद पर कार्यरत है संतोषजनक जवाब नहीं देने पर उसे पद से हटा दिया जाता है।

मौलिक अधिकारों का निलंबन

  •     मौलिक अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकता।
  •    राष्ट्रीय आपात के समय अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर मौलिक अधिकार के शेष अनुच्छेद के तहत दिए गए अधिकार स्वयं नि लंबित हो जाते हैं।
  •    अनुच्छेद 19 के अंतर्गत दिए गए स्वतंत्रता का अधिकार सबसे पहले विलंबित होता है

 

अनुच्छेद 34 जब किसी क्षेत्र में सैनिक कानून लागू हो तो संसद विधि द्वारा मौलिक अधिकारों को निलंबित कर सकती है।

 

·       शंकरी प्रसाद बनाम बिहार सरकार 1955

सबसे पहले इसी मामले में यह प्रश्न उठाया गया कि क्या संसद मौलिक अधिकार में संशोधन कर सकती है या नहीं।

·       गोलकनाथ बनाम पंजाब सरकार 1967

इसी मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि मौलिक अधिकारों में संशोधन का अधिकार संसद को नहीं है।

·       24 वां संविधान संशोधन 1971

इसमें कहा गया कि संसद मूल अधिकारों में संशोधन कर सकती है।

·       केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार 1973

इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह माना कि संसद मौलिक अधिकार में संशोधन कर सकती है परंतु इसे संविधान का मूल ढांचा प्रभावित नहीं होना चाहिए।

·       42वां संविधान संशोधन 1976

किस संशोधन द्वारा केशवानंद भारती केस में दिए गए निर्णय को पुनः दोहराया गया।

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