झारखण्ड पंचायती राज

देश की आजादी के बाद पूरे भारत में पंचायती राज प्रणाली लागू थी। देश के पाँचवीं अनुसूची वाले आदिवासी इलाकों में थी वही सामान्य कानून ही लागू थी जिससे उनकी विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक व्यवस्था लुप्तप्राय होने की स्थिति में पहुँच गयी थी। उनकी यही विशिष्ट पहचान को बचाने हेतू संविधान में 79वाँ संशोधन किया गया। यह संविधान का 73वाँ संशोधन अधिनियम 1992 पंचायतों को स्वशासी संस्था के रूप में काम करने में सक्षम बनाने के लिए कुछ शक्तियाँ और अधिकार देता है। इसी के आलोक में आदिवासी बहुल इलाकों में पंचायती राज के विस्तार पर अध्ययन करने के लिए एक संसदीय समिति बनायी गयी जिसे भूरिया समिति कहा जाता है जिसने 17 जनवरी, 1995 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
भूरिया समिति की सिफारिश के बाद संसद ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 को अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पारित किया। झारखण्ड राज्य का 259 प्रखंडों में से 134 प्रखंड पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। झारखण्ड राज्य में झारखण्ड पंचायत राज विधेयक 2001, 30 मार्च 2001 को विधान सभा में पारित हो गया और अब यह कानून बन गया है। इस कानून के तहत अब राज्य में पंचायत चुनाव होंगे। अनुसूचित क्षेत्रों और गैर अनुसूचित क्षेत्रों में अलग-अलग कानून होंगे और अलग-अलग तरीके से पंचायती राज चलेगा।
संशोधन
झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम 2001 पारित होने के बाद कुछेक संशोधन 2001 से लेकर 2004 तक किये गये हैं।
संशोधन 1 :- कोई भी निर्वाचित पद के उम्मीदवार का नाम उस पद के निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए।
संशोधन 2 :- अनुसूचित क्षेत्र के पंचायत के मुखिया पंचायत समिति के प्रमुख एवं जिला परिषद के अध्यक्ष आदि पदों में एक तिहाई पद अनुसूचित जनजाति के महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
संशोधन 3 :- सभी उपमुखिया, उपप्रमुख, उपाध्यक्ष आदि पदों को अनुसूचित क्षेत्रों में अनारक्षित रखा गया है।
संशोधन 4 :- 2010 के अध्यादेश के द्वारा सभी वर्ग में सभी स्तर पर महिलाओं के लिए आरक्षण होगा।

ग्राम सभा कि कार्यवाहीं 

ग्राम सभा अयोजित करने के पूर्व का चेकलिस्ट

क्र.सं. कार्य स्थान समय आवृत्ति जिम्मेवारी
1. ग्राम सभा का स्थान तारीख एवं समय का निर्धारण झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 अनुसार-पंचायत भवन/सार्वजनिक स्थल/सामुदायिक भवन इत्यादि ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित एक वर्ष में कम से कम चार बार – ग्राम सभा के बैठकों का अन्तराल तीन महीने से अधिक नहीं हो। मुखिया/पंचायत सेवक
2. ग्राम सभा के आयोजन की सूचना का प्रकाशन ग्राम सभा गठन, बैठक संचालन नियमावली 2003 साधारण बैठक हेतु कम से कम 07 दिन पूर्व तथा विशेष बैठक हेतु 03 दिन पूर्व बैठक की आयोजन के अनुसार मुखिया/पंचायत सेवक(बैठक की सूचना डूगडूगी, मुनादी एवं सार्वजनिक स्थलों पर नोटिस चिपकाकर दी जाए, प्रपत्र -04)
3. ग्राम सभा की अध्यक्षता साधारण बैठक हेतु कम से कम 07 दिन पूर्व तथा विशेष बैठक हेतु 03 दिन पूर्व सूचना के साथ —- मुखिया
4. ग्राम सभा की अध्यक्षता पेसा क्षेत्र में ग्राम सभा की बैठक बुलाने की जिम्मेवारी मुखिया की तथा उस बैठक की अध्यक्षता करने की जिम्मेवारी ग्राम प्रधान की होगी। सामान्य क्षेत्र में ग्राम सभा की बैठक बुलाने तथा बैठक की अध्यक्षता करने की जिम्मेवारी मुखिया की होगी।
5. ग्राम सभा के के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले विभिन्न रिपोर्ट जैसे कि आय एवं व्यय का विस्तृत विवरण, अंखेक्षण रिपोर्ट के आधार पर की गई कार्रवाई का विवरण,योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति तथा पूर्ण कराये गए योजनाओं के अन्तिमिकरण के पूर्व ग्राम सभासे उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु तैयारी। आयोजन स्थल पंचायत सेवक
6. एजेंडा के अनुसार संबंधित स्थायी समितियों के रिपोर्ट के प्रस्तुतिकरण की तैयारी आवश्यकतानुसार पंचायत सेवक एवं संबंधित स्थायी समिति के सभापति
7. संबंधित ग्राम सभा क्षेत्र का मतदाता सूची ग्राम सभा में उपलब्ध कराना (ताकि ग्राम सभा की बैठक में सदस्यों की संख्या के आधार पर कोरम का निर्धारण हो सके।) मुखिया एवं पंचायत सेवक
8. ग्राम सभा में उपस्थित सदस्यों का पंजी में हस्ताक्षर प्राप्त करने हेतु प्रपत्र – 05 को उपलब्ध कराना मुखिया एवं पंचायत सेवक
9. ग्राम सभा में लिए जाने वाले निर्णयों का साधारण हेतु प्रपत्र – 06 को उपलब्ध कराना। मुखिया एवं पंचायत सेवक
10. झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा प्रत्यायोजित शक्तियों के अंतर्गत सरकारी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को बैठक में आमंत्रित करना साधारण बैठक हेतु कम से कम 07 दिन पूर्व तथा विशेष बैठक हेतु 03 दिन पूर्व सूचित करना

 

मुखिया एवं पंचायत सेवक

ग्राम सभा आयोजित करने के दौरान का चेकलिस्ट

क्र.सं. कार्य स्थान समय आवृत्ति जिम्मेवारी
1. पंचायतों के द्वारा पूर्ण कराने गये योजनाओं के अभिलेख के अन्तिमिकरण के पूर्व ग्राम सभा से उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुतीकरण। ग्राम सभा स्थल यथा निर्धारित मुख्य/पंचायत सेवक
2. ग्राम सभा के समक्ष मासिक लेखा, वार्षिक लेखा, पूर्व वर्ष की प्रशासनिक रिपोर्ट, वार्षिक कार्ययोजना, बजट तथा अंकेक्षण रिपोर्ट को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत करना। मुख्य/पंचायत सेवक
3. सामाजिक अंकेक्षण पर प्राप्त रिपोर्ट एवं की ग्राम सभा के समक्ष पढ़कर सुनाना। ग्राम सभा स्थल यथा निर्धारित मुख्य/पंचायत सेवक
4. प्रपत्र – 05 के अनुसार ग्राम सभा के सदस्यों की उपस्थिति की गणना एवं कोरम का निर्धारण ग्राम सभा स्थल यथा निर्धारित ग्रामप्रधान (अनुसूचित क्षेत्र में) एवं मुखिया (सामान्य क्षेत्र में)
5. प्रपत्र – 06 के अनुसार एजेंडा,की गई कार्रवाई एवं कार्य वृत्त का संधारण एवं इसे पढ़कर सुनाना ग्राम सभा स्थल यथा निर्धारित पंचायत सेवक
6. ग्राम सभा की विभिन्न स्थायी समितियों की अनूशंसा एवं सुझावों को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत करना। ग्राम सभा स्थल यथा निर्धारित पंचायत सेवक एवं संबंधित स्थायी समिति के सभापति
7. गरीबी उन्मूलन तथा अन्य योजनाओं के तहत व्यक्तिगत लाभार्थियों की सूची का अंतिम रूप से चयन हेतु ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुती। ग्राम सभा स्थल यथानिर्धारित पंचायत सेवक

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